हिजामा एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है - ‘खीचकर भर निकलना’ यानि शारीर से दूषित रक्त को बहार निकलना कपिंग (हिजामा) ड्राई और वेट दो तरह की होती है |
'हिजामा' थैरेपी हजारों वर्ष पुरानी यूनानी चिकित्सा पद्धति है।
दुनिया के हर हिस्से में इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इसे अरबी में हिजामा, चीनी और अंग्रेजी में कपिंग, भारत में रक्त मोक्षण नाम से जाना जाता है।
काफी साल पहले कपिंग में इस्तेमाल होने वाले कप मूल रूप से जानवरों के सींग से बने होते थे। इसके बाद बांस, सिलिकॉन, मिट्टी और फिर सिरेमिक के कपों का उपयोग किया जाने लगा। लेकिन आजकल मॉडर्न कपिंग में ग्लास के कप्स का प्रयोग किया जाता है, जो एक तरफ से खुला रहता है। अब आपको बता दें, कि कपिंग थैरेपी चार प्रकार से की जाती है। फिक्स, मूविंग, ड्राई कपिंग और वेट कपिंग। इन्हें कैसे किया जाता है, ये हम आपको आगे बता रहे है।
फिक्स कपिंग
इसमें कपों को पूरे उपचार के दौरान प्रभावित क्षेत्र पर पांच से दस मिनट के लिए रखा जाता है।
मूविंग कपिंग
इसे ग्लाइडिंग कपिंग भी कहा जाता है। इसमें मसल्स की मसाज करने के लिए कप को उपचार के दौरान घूमाया जाता है। ऐसा करने के लिए प्रोफेशनल त्वचा पर तेल का इस्तेमाल करता है, ताकि कप्स को मूव कराने में आसानी हो।
ड्राई कपिंग:
इसे एयर कपिंग के नाम से भी जाना जाता है। ड्राई कपिंग में शीशे के कपों को गर्म तेल में डुबोकर त्वचा के एक्यूप्रेशर पॉइंट्स पर रख दिया जाता है। इससे वैक्यूम क्रिएट होता है और कप के भीतर ठंडी हवा भर जाती है, जो त्वचा को खींचती है, जिससे इलाज होता है। कई जगह पर कॉटन को अल्कोहल में डुबोकर जलाते है। इसके जरिए कप को गर्म किया जाता है और फिर इसे स्किन पर रखा जाता है। ध्यान रखें, कि ये स्थिति कुछ मिनटों के लिए दर्दनाक हो सकती है।
वेट कपिंग
वेट कपिंग कुछ हद तक एक्यूपंचर के समान है। इसके लिए कप को त्वचा पर रखकर तुरंत हटा लिया जाता है। इस दौरान स्किन से ब्लड निकालने के लिए एक चीरा भी लगाते है। फिर संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक क्रीम लगाई जाती है। माना जाता है, कि यह तकनीक शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है।
कपिंग थैरेपी का उपयोग विभिन्न प्रकार की स्थितियों के उपचार के लिए किया जाता है। यह मांसपेशियों में दर्द और दर्द पैदा करने वाली स्थितियों को कम करने में विशेष रूप से प्रभावी साबित हो सकती है। चूंकि कप को मेन एक्यूप्रेशर पॉइंट पर रखा जाता है, इसलिए यह त्वचा संबंधी समस्याओं और पाचन के मुद्दों का इलाज एक्यूप्रेशर के जरिए करता है। 2012 के अध्ययनों की समीक्षा में शोधकर्ताओं ने पाया है, कि कपिंग दाद, खांसी, बदहजमी, मुंहासे, स्पॉन्डिलाइटिस जैसी स्थितियों में भी की जा सकती है।
कपिंग थैरेपी के ढेरों फायदे है। वैसे कुछ लोग अपनी खूबसूरती में निखार लाने के लिए, तो कुछ मांसपेशियों के दर्द को कम करने के लिए इस थैरेपी सेशन को लेना पसंद करते है। किन-किन चीजों में कपिंग थैरेपी फायदेमंद है, ये हम आपको नीचे बताने जा रहे है।
I ब्लड सकुर्लेशन तेज करे
रक्त संचार में सुधार करने के लिए कपिंग थैरेपी बेहद फायदेमंद है। खासतौर से ये थैरेपी शरीर के उन हिस्सों का ब्लड सकुर्लेशन तेज कर देती है, जहां कप फिक्स किए जाते है। इससे नसों को मजबूती मिलती है।
II डिटॉक्सीफिकेशन
डिटॉक्सीफिकेशन में कपिंग थैरेपी बहुत अच्छी मानी जाती है। बेशक आप हेल्दी डाइट लें, लेकिन प्रदूषण के जरिए कुछ टॉक्सिन आपके शरीर में पहुंच ही जाते है। ऐसे में कपिंग थैरेपी शरीर के भीतर की गंदगी को बाहर निकालकर डिटॉक्सीफाई करने का काम करती है।
III निखरी त्वचा के लिए
त्वचा में निखार लाने के लिए कपिंग थैरेपी बहुत असरदार मानी गई है। इसकी मदद से त्वचा संबंधी विकारों को आसानी से दूर किया जा सकता है। यदि आपको चेहरे पर एक्ने, पिंपल्स की समस्या है, तो कपिंग थैरेपी बैक्टीरिया के खिलाफ लड़कर खून से हर तरह की गंदगी को बाहर निकालने में आपकी मदद करती है।
IV दर्द से राहत दिलाए
किसी भी तरह का दर्द हो, कपिंग थैरेपी इसे दूर करने में बहुत सहायक है। यह टिश्यू को कोमल कर, उन जगहों पर रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, जहां इनकी जरूरत हो। इतना ही नहीं, यह थैरेपी क्रॉनिक पेन को दूर करने में भी सक्षम है। जिन लोगों का दर्द इस थैरेपी के जरिए दूर हुआ है, वे इसे मसाज से ज्यादा प्रभावी मानते है।
V तनाव से मुक्ति दिलाए
शरीर में दर्द और त्वचा संबंधी समस्याओं का एक कारण तनाव है। इसे दूर करने के लिए आप कई तरीके अपनाते होंगे, लेकिन कपिंग थैरेपी भी इसका बेस्ट सॉल्यूशन है। मसाज के मुकाबले यह ज्यादा राहत देने वाली मानी जाती है। इसमें कप्स को शरीर के विभिन्न हिस्सों पर घुमाया जाता है, जिससे रिलेक्सेशन महसूस होता है और तनाव गायब हो जाता है।
VI अस्थमा कपिंग थैरेपी
अस्थमा के रोगियों के लिए बेहद असरदार मानी गई है। ठंड, ब्रोन्काइटिस यहां तक की अस्थमा के कारण होने वाले कंजेशन का इलाज भी इससे किया जा सकता है। आमतौर पर कप आपकी पीठ पर रखे जाते है, लेकिन कंजेशन को दूर करने के लिए इन्हें छाती पर भी रखा जा सकता है। खासतौर से साइनस को अनब्लॉक करने के लिए फेशियल कपिंग का भी उपयोग किया जा सकता है।
VII पाचन तंत्र में सुधार करे
शरीर में कब्ज और अल्सर की समस्या से मुक्ति दिलाने में हिजामा थैरेपी का कोई मुकाबला नहीं है। पाचन से संबंधित समस्याओं के लिए ये थैरेपी बहुत बढिय़ा विकल्प है। इस थैरेपी के दौरान शरीर पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से ग्रहण कर लेता है, जिसके बाद व्यक्ति की भूख बढ़ जाती है।
इसके अलावा सूजन कम करने, तंत्रिका तंत्र को शांत रखने के लिए भी कपिंग थैरेपी लाभदायक है। हालांकि, जरूरतों और जीवनशैली के हिसाब से अलग-अलग लोगों पर इसका अलग-अलग प्रयोग किया जाता है। जैसे सर्दी-जुकाम से जूझ रहे लोगों और बच्चों को कपिंग थैरेपी दी जाती है। कोई कॉस्मेटिक यूज के लिए कपिंग थैरपी का उपयोग करना चाहता है, तो कोई बस तनाव दूर करने के लिए इस थैरेपी का यूज करता है।
कपिंग थैरेपी काफी सेफ है। इससे कोई नुकसान नहीं है। हां, लेकिन शरीर के जिन-जिन हिस्सों पर कपिंग की जाती है, वहां थोड़ी देर के लिए जरूर आप दर्द, जलन, चक्कर, चोट या इंफेक्शन का अनुभव कर सकते है। हो सकता है कि इस दौरान आपको पसीना या फिर नॉजिया महसूस हो। कई बार इस थैरेपी के दौरान त्वचा झुलस भी सकती है। इसके लिए आपके डॉक्टर को एप्रेन, डिस्पोजल दस्ताने आदि पहनने चाहिए। कपिंग थैरेपी के फायदे, नुकसान तो आपने जान लिए, अब इसे कैसे किया जाता है,
कपिंग थरैपी को कराने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इससे आप भविष्य में होने वाले नुकसानों और तकलीफ से बचे रहेंगे।
- कपिंग थैरेपी के लिए जाने से पहले इसके सर्टिफाइड सेंटर्स की जांच कर लें और देखें कि आप जिनके पास सेशन लेने जा रहे है, वे लोग ट्रेंड हों।
- किसी अन्य प्रकार की वैकल्पिक या पूरक दवा शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से बात करें। और इससे पहले कि आप इसे आजमाएं, अपने कपिंग थेरेपिस्ट के साथ विस्तार से बात करें। उनसे पूछें कि, इसका उपयोग करने में आपका क्या अनुभव है?
- बता दें कि कपिंग थैरेपी सभी के लिए फायदेमंद साबित नहीं होती। कुछ समूहों के लिए इसे लेकर सावधानी बरतना जरूरी है।
- चार साल से कम उम्र के बच्चों को कपिंग थैरेपी नहीं मिलती। यदि बड़े बच्चों का इलाज करा रहे है, तो कम समय के लिए ही कराएं।
- उम्र के साथ त्वचा नाजुक होने लगती है, इसलिए बड़ी उम्र यानि 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को यह थैरेपी कराने से बचना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को कपिंग थैरेपी सेशन लेने की अनुमति नहीं दी जाती।
- मासिक धर्म के दौरान कपिंग थैरेपी लेने से बचना चाहिए।
- यह दर्दनाक नहीं है, लेकिन इसे कराने के बाद रेडनेस आ जाती है।
- यदि आप खून को पतला करने के लिए किसी दवा का उपयोग कर रहे है, तो कपिंग का उपयोग न करें।
- यदि आपको सनबर्न, स्किन अल्सर जैसी समस्या है, तो हमेशा कपिंग थैरेपी लेने से बचें।
कपिंग थैरेपी दर्द और त्वचा संबंधी विकारों का एक सुरक्षित तरीका है। लेकिन अगर आप इसे आजमाने के बारे में सोच रहे है, तो उपचार शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर ले लें।