कमर दर्द बहुत आम है और इसे ठीक होने में कुछ हफ्तों या महीनों का समय लग जाता है। कमर दर्द में आमतौर पर पीठ में दर्द, खिंचाव या अकड़न महसूस होती है। कमर दर्द बहुत कष्टकारक हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर गंभीर नहीं होता है।
कमर दर्द कई कारणों से हो सकता है, जैसे अचानक की जाने वाली कोई गतिविधि या गिरना,चोट या चिकित्सकीय स्थिति शामिल हैं। दर्द सामान्य रूप से हड्डियों, डिस्क, नसों, मांसपेशियों और लिगामेंट द्वारा मिलकर की जाने वाली गतिविधियों के तरीके पर निर्भर करता है।
हम में से हर कोई अपने जीवन में कभी न कभी कमर दर्द का अनुभव करता ही है। कमर दर्द या पीठ दर्द 35 और 55 वर्ष के बीच की आयु वर्ग के वयस्कों में एक आम समस्या है।
यदि आप कमर दर्द या पीठ दर्द का अनुभव कर रहे हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी गतिविधियों को बहुत ज्यादा सीमित न करें। यहां तक कि अगर आपकी कमर में बहुत दर्द हो रहा हो, तब भी धीरे-धीरे काम करना बिस्तर पर सीधे लेटे रहने से बेहतर है। यदि आप अपनी कमर को हिलाते डुलाते रहेंगे, तो यह अधिक लचीली हो जाएगी।
बार-बार होने वाले कमर दर्द या पीठ दर्द को रोकने या उससे राहत पाने के लिए कई उपाय उपलब्ध हैं। यदि रोकथाम से कोई फायदा नहीं मिलता है, तो घर पर स्वयं किये जाने वाले सरल उपचार और उचित शारीरिक प्रक्रिया अक्सर कुछ हफ्तों के भीतर आपको कमर दर्द से राहत दिला सकते हैं और इसे लंबे समय तक ठीक रखने में भी मदद करते हैं।
बहुत दुर्लभ मामलों में ही कमर दर्द का इलाज करने के लिए ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ती है।
पीठ दर्द के प्रमुख लक्षण और संकेत हैं:
कुछ अन्य लक्षण हैं जो एक गंभीर अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति के संकेत हैं। नीचे दिए गए लक्षणों वाले लोग तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें:
कमर दर्द का निदान कैसे करें?
कमर दर्द का निदान करने के लिए आमतौर पर सभी का शारीरिक परीक्षण करने की आवश्यकता होती है।शारीरिक परीक्षण के दौरान डॉक्टर आपकी निम्न जांच कर सकते हैं–
1) खड़े होने और चलने की योग्यता
2) रीढ़ की हड्डी की मूवमेंट की सीमा
3) सजगता
4) पैरों की ताकत
5) आपके पैरों में होने वाली सनसनी का पता लगाने की क्षमता
यदि एक गंभीर स्थिति का संदेह होता है, तो आपके डॉक्टर अन्य परीक्षणों का सुझाव दे सकते हैं। इनमें शामिलहैं –
1) अंतर्निहित बिमारियों की जांच के लिए ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट
2) आपकी हड्डियों के संरेखण को देखने और उनकी क्षति की जांच करने के लिए रीढ़ का एक्स-रे
3) आपकी डिस्क, मांसपेशियों, लिगामेंट, तंत्रिकाओं और रक्त वाहिकाओं का आकलन करने के लिए सीटीस्कैन या एमआरआई
4) हड्डी के ऊतक में असामान्यताएं देखने के लिए बोन स्कैन
5) नर्व कंडक्शन जांचने करने के लिए एलेक्ट्रोम्योग्राफी (ईएमजी टेस्ट)
कमर दर्द का उपचार कैसे करें?
अधिकतर दीर्घकालिक कमर दर्द घरेलू उपचार से कुछ हफ्तों में बेहतर हो जाता है। आपको ओवर-द-काउंटरमिलने वाले दर्द निवारक और गर्म सेक या बर्फ के उपयोग की ज़रुरत पड़ सकती है। बिस्तर पर आराम करने कीसलाह नहीं दी जाती है।
अपने सामर्थ्य के अनुसार अधिक से अधिक काम करना जारी रखें। हलकी गतिविधि करने की कोशिश करें, जैसेकि चलना और दैनिक जीवन की गतिविधियां। उन कामों को न करें, जिनसे दर्द बढ़ता है, लेकिन दर्द से डरकरकाम करने से न बचें। यदि घरेलू उपचार से कई हफ्तों के बाद भी कोई आराम नहीं पड़ रहा है, तो आपकेडॉक्टर ज़्यादा असरदार दवाओं या अन्य उपचारों का सुझाव दे सकते हैं।
दवाएं – आपके कमर दर्द के प्रकार के आधार पर डॉक्टर निम्न सुझाव दे सकते हैं –
1) ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक – नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी; NSAID), जैसे कि इबुप्रोफेन क्यूट कमर दर्द को कम कर सकते हैं। अगर ओटीसी दर्द निवारक आपको दर्द से राहत नहीं दिलाते हैं, तो आपके डॉक्टर पर्चे पर लिखी एनएसएआईडी का सुझाव दे सकते हैं।
2) मांसपेशी शिथिलता – यदि ओटीसी दर्द निवारक दवाओं से हल्के और मध्यम कमर दर्द में कोई आराम नहीं मिलता है, तो आपके डॉक्टर मांसपेशियों को शिथिल करने वाली दवाइयां भी लिख सकते हैं।
3) स्थानिक दर्द निवारक - ये क्रीम, लेप या मरहम होते हैं, जिन्हें आप दर्द के स्थान पर मलते हैं।
4) नारकोटिक्स - कुछ दवाएं, जैसे कि कोडीन (codeine) या हाइड्रोकोडोन, आपके चिकित्सक की कड़ी निगरानी में थोड़े समय के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं।
5) एंटीडिप्रेसेंट – कुछ एंटीडिप्रेसेंट की कम खुराक का इस्तेमाल कुछ प्रकार के क्रोनिक कमर दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है।
6) इंजेक्शन – यदि अन्य उपाय आपके दर्द से छुटकारा नहीं दिला पा रहे हैं, तो एक कोर्टीसोन इंजेक्शन दिया जाता है। यह तंत्रिका की जड़ों के आसपास होने वाली सूजन को कम करने में मदद करता है, लेकिन दर्द से राहत आमतौर पर कुछ महीनों तक ही मिल पाती है।
शारीरिक चिकित्सा और व्यायाम – शारीरिक उपचार कमर दर्द के इलाज का आधार है। एक भौतिक चिकित्सक दर्द को कम करने के लिए आपकी कमर की मांसपेशियों और कोमल ऊतकों को विभिन्न प्रकार के उपचार, जैसे – उष्मा,अल्ट्रासाउंड , विद्युत उत्तेजना और मांसपेशी को आराम देने वाली तकनीकें अपना सकते हैं। जैसे-जैसे दर्द में सुधार होता है, चिकित्सक आपको व्यायाम सिखा सकते हैं जो आपके लचीलेपन को बढ़ा सकते हैं, कमर और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बना सकते हैं और आपकी अवस्था में सुधार कर सकते हैं। इन तकनीकों का नियमित उपयोग दर्द की पुनरावृत्ति को रोकने में मदद कर सकता है।
सर्जरी - कुछ लोगों को कमर दर्द के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है, लेकिन ऐसा बहुत ही कम मामलों में होता है। यदि आप तंत्रिका संपीड़न के कारण होने वाले पैर दर्द या मांसपेशियों की बढ़ती कमजोरी के साथ जुड़े असहनीय दर्द से पीड़ित हैं, तो आपको सर्जरी से फायदा हो सकता है। अन्यथा सर्जरी आमतौर पर संरचनात्मक समस्याओं से संबंधित दर्द के लिए की जाती है, जैसे कि रीढ़ का संकीर्ण होना (स्पाइनल स्टेनोसिस) या हर्नियेटेड डिस्क की स्थिति में जब सामन्य चिकित्सा से कोई लाभ ना हुआ हो।
आप अपनी शारीरिक स्थिति में सुधार करके और उचित शारीरिक प्रक्रियाओं को सीखकर व अभ्यास करके कमर दर्द से बचने या उसकी पुनरावृत्ति को रोकने में सक्षम हो सकते हैं।अपनी कमर को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए –
नियमित रूप से की जाने वाली कम प्रभावी एरोबिक एक्सरसाइजआपकी कमर में खिंचाव या झटका नहीं लगने देती हैं। ये आपकी कमर को मज़बूती व स्थिरता प्रदान करती हैंऔर आपकी मांसपेशियों को अच्छे तरीके से कार्य करने में सक्षम बनाती हैं।सैर और तैराकी करना अच्छा विकल्प है
अधिक वजन कमर की मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न कर देता है। यदि आपकावजन अधिक है, तो उसे कम करने से कमर दर्द को रोका जा सकता है।
उचित शारीरिक प्रक्रियाओं का प्रयोग करें –
पेल्विक पोजीशन को तटस्थ बनाए रखें। अगर आपको लंबी अवधि के लिए खड़ा होना ज़रूरी है, तो पैर रखने वाले छोटे स्टूल पर अपना एक पाँव रखें जिससे आपकी कमर के निचले हिस्से से थोड़ा भार कम हो सके। बारी-बारी से पैरों को स्टूल पर रखने से कमर की मांसपेशियों पर दबाव कम हो सकता है।
कमर के निचले हिस्से व हाथों को सहारा देने वाली और घूमने वाली कुर्सी चुनें। कमर की वक्रता (कर्व) को सामान्य बनाए रखने के लिए अपनी कमर के पीछे एक तकिया या तोलिये को मोड़कर रखें। अपने घुटनों और कूल्हों की स्थिति को समान रखें। अपनी बैठने की मुद्रा को कम से कम हर आधे घंटे में बदलते रहेँ।
यदि संभव हो तो भारी सामान उठाने से बचें, लेकिन अगर वजन उठाना ज़रूरी है तो अपने पैरों को काम करने दें। अपनी पीठ को सीधा रखें, घूमें नहीं और केवल घुटनों पर ही झुकें। भार अपने शरीर के नज़दीक पकडकर रखें। यदि सामान भारी है, तो उसे उठाने के लिए किसी साथी को ढूंढें।